Monday, June 3, 2013

उल्फत ए गम में ,

आज़ादी की खुशबू कहाँ,

जिन्दगी की राह में,

उनके मिलने की उम्मीद कहाँ,

मैं तडफा हूँ चाह में,

अब चाहत के मिलने की उम्मीद कहाँ,

जिन्दगी से लुका छिफ़ी में,

अब छिपने की जगह कहाँ,

बेतरतीब रोने में,

अब हसने की गुंजाईश कहाँ,

जिन्दगी के मेले में, 

अब उन्हें ढूंढे कहाँ, 


4 comments:

  1. जिन्दगी के मेले में,
    अब उन्हें ढूंढे कहाँ,
    bahut mushkil hai ....nice presentation .....

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  2. तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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    1. आपका बहुत आभार संजय जी ,

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