गफलत थी कुछ ऐसी की, अपना नाम ए निशान मिटा बैठे , न जाने कब रेत पर उनकी , धुन्द्ली सी तस्वीर बना बैठे ,,,,,,,,,,,,,,,
Friday, June 28, 2013
Tuesday, June 25, 2013
पिता
मुझे पिता नही
एक भगवान मिला है,
जीता जागता
एक वरदान मिला है,
ऊँगली पकड़कर जिसकी,
चलना है सिखा हमने,
जिन्दगी जीने की समझ ,
सीखी है जिनसे हमने ,
आकाश से भी ऊँचा है
कद जिनका,
गहराई है
बातो में उनकी,
अश्क न आने दिए
आँखों में मेरी ,
परवरिश
इतने प्यार से की है,
हर दर्द को समेट कर
अपने आगोश में,
खुशियों से भर दी है
जिन्दगी मेरी,
ऐसे पिता को शत शत नमन करता हूँ ,
ऐसे कई जन्म भी उनकी सेवा को अर्पण करता हूँ,
एक भगवान मिला है,
जीता जागता
एक वरदान मिला है,
ऊँगली पकड़कर जिसकी,
चलना है सिखा हमने,
जिन्दगी जीने की समझ ,
सीखी है जिनसे हमने ,
आकाश से भी ऊँचा है
कद जिनका,
गहराई है
बातो में उनकी,
अश्क न आने दिए
आँखों में मेरी ,
परवरिश
इतने प्यार से की है,
हर दर्द को समेट कर
अपने आगोश में,
खुशियों से भर दी है
जिन्दगी मेरी,
ऐसे पिता को शत शत नमन करता हूँ ,
ऐसे कई जन्म भी उनकी सेवा को अर्पण करता हूँ,
Monday, June 24, 2013
जिन्दगी
भावो को आज मैंने बह जाने दिया,
जो दिल में आया ,कलम से लिख जाने दिया,
सपनो के सागर में खुद को डूब जाने दिया,
दिल से आज जिन्दगी को बिन पंख उड़ जाने दिया,
सब गिलो सिकवो को आज बह जाने दिया,
बस हँसी को आज दिल में उतर जाने दिया,
ज़माने के गमो को आज ज़माने के संग जाने दिया,
पहली बार आज ख़ुशी को दिल के अंदर उतर जाने दिया,
नफरतो को छोड़कर ,प्यार को हमराह बन जाने दिया,
बदले शायद जिन्दगी ,इस उम्मीद से आज उसूलो को भी टूट जाने दिया,
जिन्दगी को जिन्दगी से आज मिल जाने दिया,
हमने तो आज अपनी रूह को भी फना हो जाने दिया,
Saturday, June 22, 2013
Friday, June 21, 2013
हमें मालूम ना था
तबाही का सिलसिला ,
यूँ शुरू होगा ,
हमें मालूम न था ,
मन्नत मांगी थी,
जिस बारिश की हमने ,
उसके आने के बाद,
मंज़र ये होगा,
हमें मालूम न था ,
खुद भगवान भी बह जायेंगे,
धारा में जल की ,
बर्बर और रोद्र रूप ,
ऐसा प्रकृति का होगा,
हमें मालूम ना था,
गुजारिश करते है,
उस रब से,
फिर ऐसा मंजर ना हो कभी ,
हमारी गलतियों का ,
ऐसा अंजाम होगा ,
हमें मालूम ना था,,,,,,,,,,,,,,
Thursday, June 20, 2013
कसम-ए-तन्हाई
सपने टूटे , रास्ते भी छूटे ,
पनघट पर मटके भी टूटे ,
जो थे पास हमारे, वो भी छूटे ,
धीरे-धीरे दिल के अरमान भी टूटे ,
आँखों से आज आँसू भी छूटे ,
दिलो से दिल के तार भी टूटे ,
हाथो से आज हाथ भी छूटे ,
दिल के सुखद एहसास भी टूटे,
जुबाँ से लफ्जों के तीर भी छूटे ,
तुझसे मिलने के ख्वाब भी टूटे,
तेरी कसम-ए-तन्हाई से, आज हम भी छूटे ,
तेरी बातों से आज हम भी टूटे,
सपने टूटे , रास्ते भी छूटे ,
पनघट पर मटके भी टूटे ,
Tuesday, June 18, 2013
वो गुमनाम ख़त
हर रोज़ एक पैगाम आता है,
ख़त वो बेनाम आता है ,
मिलने की ख्वाहिश लिखते है हमसे ,
मिलने से पर दिल कतराता है,
सोची समझी सी साजिश लगती है,
किसी का कोई पुराना ख्वाब लगता है,
बन्दिसो में जीने की आदत है शायद उसको ,
तभी तो वो गुमनाम ख़त मेरे नाम लिखता है,
उलझी हुई बाते होती है,
डगमगाते से अल्फाज लिखता है,
जुस्तजू उसकी हाल ए दिल बयाँ करती है,
बहका हुआ उसका, अंदाज ए बयाँ लगता है,
अब तो आदत सी हो गयी यारो ,
ख़त का रोज़, इंतजार रहता है,
Monday, June 10, 2013
देश लुटता रहा
बहुत लूटा - बहुत लूटा
इस देश को बहुत लूटा ,
कभी पारसियों ने तो
कभी गौरी ने लूटा ,
कभी मुगलों ने तो
कभी फिरंगियों ने लूटा ,
मगर इन नेताओ से तो
फिर भी कम लूटा ,
मेहनत की कमाई को ,
कभी कोयला, कभी 2G
तो कभी राष्ट्रमंडल के नाम पर लूटा ,
चम्बल के लुटेरे तो
यूँ ही बदनाम है यारो,
संसद के लूटेरों से ज्यादा तो
किसी ने भी नही लूटा ,
कभी महंगाई के नाम पर,
कभी पेट्रोल के दाम पर,
जिसका जब भी जहां भी मोका लगा ,
उसने हमें पूरे दिल से लूटा ,
जब कही भी
कुछ भी बाकी न रहा,
तो भारत निर्माण के नाम पर लूटा ,,,,,,,,,
मैं मेरी तनहाहियो में अक्सर अकेला रहता हूँ ,
तुम चले आओगे अक्सर ये सोचता रहता हूँ,
बिछड़े हुओ की खातिर अक्सर अक्श बहाता रहता हूँ,
मत समझो मुझको दीवाना मैं प्यार में पागल रहता हूँ,
चलते हुए बहाव की तरह हर पल लिखता रहता हूँ,
जलते हुए दिए की तरह हर पल जलता रहता हूँ,
हँसते हुए जिन्दगी को बस यू ही जीता रहता हूँ ,
राज जो उनके है आज भी दिल में छुपाये फिरता हूँ,
मैं तो अलबेला हूँ लहरों पर चलता रहता हूँ,
डर नही है कुछ खोने का मैं तो सब लुटाये फिरता हूँ,
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