बहर २२२२२२२२२२२२२२२२
मजहब की बातो पर ना जाने क्यों मर मिटते हो साहब
चाल सियासतदारो की क्यों जान नहीं पाते हो साहब
जाने अनजाने हर बार बहक जाते हो बातो में इनकी
जो बीत गयी है उन बातो से कहाँ सिखते हो साहब
सबको मंजिल तक साथ निभाने का भरोसा दे कर के
बीच सफ़र में ही क्यों वादा तोड़ चले जाते हो साहब
झूटी शानो शोकत और पैसो के चक्कर में भी तो
जीवन में अपने प्यारो से ही धोखा खाते हो साहब
जीवन की राहो में तुम गिरकर सम्हल जाते हो लेकिन
मोहब्बत की गलियों में क्यों हर बार गिरते हो साहब
मजहब की बातो पर ना जाने क्यों मर मिटते हो साहब
चाल सियासतदारो की क्यों जान नहीं पाते हो साहब
जाने अनजाने हर बार बहक जाते हो बातो में इनकी
जो बीत गयी है उन बातो से कहाँ सिखते हो साहब
सबको मंजिल तक साथ निभाने का भरोसा दे कर के
बीच सफ़र में ही क्यों वादा तोड़ चले जाते हो साहब
झूटी शानो शोकत और पैसो के चक्कर में भी तो
जीवन में अपने प्यारो से ही धोखा खाते हो साहब
जीवन की राहो में तुम गिरकर सम्हल जाते हो लेकिन
मोहब्बत की गलियों में क्यों हर बार गिरते हो साहब
झूटी शानो शोकत और पैसो के चक्कर में भी तो
ReplyDeleteजीवन में अपने प्यारो से ही धोखा खाते हो साहब
bahut sundar bhavabhivyakti .krishn janam ashtmi kee hardik shubhkamanyen .
आज का सच लिए हुए अच्छे ख्याल हैं.
ReplyDeleteझूटी शानो शोकत और पैसो के चक्कर में भी तो
ReplyDeleteजीवन में अपने प्यारो से ही धोखा खाते हो साहब .... sateek baat
एक सुंदर बेहतरीन रचना ....साहब ...बधाई ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण और बढ़िया प्रस्तुति !!
ReplyDeleteजीवन में अपने प्यारो से ही धोखा खाते हो साहब
ReplyDeleteयकीनन !!
वाह वाह वाह
ReplyDeleteसुन्दर ताने-बने और सीख-सुझाव देती
ये आपकी सुन्दर सोच से उपजी लाज़वाब अल्फ़ाज़ लिए
एक बेहतरीन ग़ज़ल
बधाई
बहुत ही बढ़िया रचना..
ReplyDeleteबेहतरीन...
:-)
jivan ka sach hai bahut sahi kaha aapne
ReplyDeleteएक सुंदर बेहतरीन रचना ....साहब ...बधाई .. वाह वाह वाह
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने
ReplyDeleteजीवन की राहो में तुम गिरकर सम्हल जाते हो लेकिन
ReplyDeleteमोहब्बत की गलियों में क्यों हर बार गिरते हो साहब ...
ये वो गालियाँ हैं जहां एक बार गिर के उठना आसान नहीं .... शायद नामुमकिन भी है ...
लाजवाब शेर है ...