Monday, June 24, 2013

जिन्दगी

भावो को आज मैंने बह जाने दिया,

जो दिल में आया ,कलम से लिख जाने दिया,


सपनो के सागर  में खुद को डूब जाने दिया,

दिल से आज जिन्दगी को बिन पंख उड़ जाने दिया,


सब गिलो सिकवो को आज बह जाने दिया,

बस हँसी को आज दिल में उतर जाने दिया,


ज़माने के गमो को आज ज़माने के संग जाने दिया,

पहली बार आज ख़ुशी को दिल के अंदर उतर जाने दिया,


नफरतो को छोड़कर ,प्यार को हमराह बन जाने दिया,

बदले शायद जिन्दगी ,इस उम्मीद से आज उसूलो को भी टूट जाने दिया,


जिन्दगी को जिन्दगी से आज मिल जाने दिया,

हमने तो आज अपनी रूह को भी फना हो जाने दिया,



7 comments:

  1. संवेदनशील कविता। बधाई।

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  2. सुंदर रचना के लिए आपको बधाई.....शोर्य जी

    संजय भास्‍कर
    शब्दों की मुस्कुराहट
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  3. आभार संजय जी

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  4. BEAUTIFUL LINES WITH GREAT EMOTIONS AND FEELINGS

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