Sunday, August 4, 2013

गजल

अभी मुझे कुछ ज्यादा मालूम नही है गजलो के बारे में ,जो गलतियाँ की हो कृप्या उन्हें मुझे बताये ताकि मैं फिर उन्हें न दोहराऊ


गजल
बहर २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२

जब आया हूँ तो बात बताकर जाऊँगा
राजो से परदा आज हटाकर जाऊँगा

जितना जब मुझको जिसने तडपाया था,अब
मैं भी उनको उतना सताकर जाऊँगा

तूने मेरी राहों में खार बिछाये थे
एक काँटा मैं भी आज चुभाकर जाऊँगा

हसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
जो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा

रुलाया है तुमने जुदाई में ,एक दिन
तुमको अलविदा कह रुलाकर जाऊँगा

डॉ शौर्य मलिक  

43 comments:

  1. waaaaaaaah bahut khubsuraat gazal hai......bahut khub..
    do she'r to lazvab hai

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया अशोक भाई

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  2. हसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
    जो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा

    बहुत सुन्दर भाव

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया

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  3. हसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
    जो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा

    बहुत सुन्दर शौर्य मलिक जी ....

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया

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  4. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया

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  5. बहुत सुंदर गजल, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया

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  6. बहुत ही बेहतरीन गजल....
    :-)

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया

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  7. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल!!!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया

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  8. बहुत सुंदर गजल, शुभकामनाएं.

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  9. प्रयास अच्छा है... सुन्दर

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  10. कल 05/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  11. बहुत अच्छी ग़ज़ल है...दूसरे शेर में "तड़पाया" कर लीजिये बस!!

    अनु

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    1. बहुत बहुत आभार , शुद्धिकरण कर दिया गया है

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  12. "जो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा"

    सुन्दर कथन!

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  13. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल!!!

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  14. बहुत सुन्दर प्रयास सफल रहा

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  15. बहुत खूब ... लिखने का प्रयास करते रहे .. भाव आने जरूरी हैं ... शिल्प समय के साथ सीखने पे आ ही जाता है ...

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    1. सही कहा , समय के साथ भाव भी आने लग जायेंगे, कोशिश जारी रखूँगा

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  16. हसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
    जो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा
    वाह ... बहुत खूब कहा आपने ....

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  17. हसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
    जो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा
    ..बहुत बढ़िया सकारात्मक सोच भरी गजल ..

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  18. बहुत बहुत आभार ,

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  19. रुलाया है तुमने जुदाई में ,एक दिन
    तुमको अलविदा कह रुलाकर जाऊँगा

    बहुत खूब शौर्य जी।।।

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  20. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल..... मालिक जी

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  21. जितना जब मुझको जिसने तडपाया था,अब
    मैं भी उनको उतना सताकर जाऊँगा''

    वाह क्या जज़्बा है आपका। सलाम है
    उम्दा ग़ज़ल
    (बांकी मुझे तख्ती के बारे में विशेष जानकारी नहीं है। )

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  22. बहुत सुंदर गजल,

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  23. हसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
    जो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा

    वाह क्या कहने
    खुबसूरत गजल

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  24. sakaratmak soch seyukt sundar gazal badhayi

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