अभी मुझे कुछ ज्यादा मालूम नही है गजलो के बारे में ,जो गलतियाँ की हो कृप्या उन्हें मुझे बताये ताकि मैं फिर उन्हें न दोहराऊ
गजल
बहर २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२
जब आया हूँ तो बात बताकर जाऊँगा
राजो से परदा आज हटाकर जाऊँगा
जितना जब मुझको जिसने तडपाया था,अब
मैं भी उनको उतना सताकर जाऊँगा
तूने मेरी राहों में खार बिछाये थे
एक काँटा मैं भी आज चुभाकर जाऊँगा
हसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
जो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा
रुलाया है तुमने जुदाई में ,एक दिन
तुमको अलविदा कह रुलाकर जाऊँगा
डॉ शौर्य मलिक
गजल
बहर २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२
जब आया हूँ तो बात बताकर जाऊँगा
राजो से परदा आज हटाकर जाऊँगा
जितना जब मुझको जिसने तडपाया था,अब
मैं भी उनको उतना सताकर जाऊँगा
तूने मेरी राहों में खार बिछाये थे
एक काँटा मैं भी आज चुभाकर जाऊँगा
हसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
जो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा
रुलाया है तुमने जुदाई में ,एक दिन
तुमको अलविदा कह रुलाकर जाऊँगा
डॉ शौर्य मलिक
waaaaaaaah bahut khubsuraat gazal hai......bahut khub..
ReplyDeletedo she'r to lazvab hai
बहुत बहुत शुक्रिया अशोक भाई
Deleteहसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
ReplyDeleteजो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा
बहुत सुन्दर भाव
बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteहसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
ReplyDeleteजो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा
बहुत सुन्दर शौर्य मलिक जी ....
बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया
Deleteबहुत सुंदर गजल, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteबहुत ही बेहतरीन गजल....
ReplyDelete:-)
बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteबहुत खुबसूरत ग़ज़ल!!!
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया
Deleteबहुत सुंदर गजल, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteप्रयास अच्छा है... सुन्दर
ReplyDeleteकल 05/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत अच्छी ग़ज़ल है...दूसरे शेर में "तड़पाया" कर लीजिये बस!!
ReplyDeleteअनु
बहुत बहुत आभार , शुद्धिकरण कर दिया गया है
DeleteBahut Umda Gazal....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ,
Delete"जो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा"
ReplyDeleteसुन्दर कथन!
बहुत बहुत आभार ,
Deleteबहुत खुबसूरत ग़ज़ल!!!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ,
Deleteबहुत सुन्दर प्रयास सफल रहा
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ,
Deleteबहुत खूब ... लिखने का प्रयास करते रहे .. भाव आने जरूरी हैं ... शिल्प समय के साथ सीखने पे आ ही जाता है ...
ReplyDeleteसही कहा , समय के साथ भाव भी आने लग जायेंगे, कोशिश जारी रखूँगा
Deleteहसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
ReplyDeleteजो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा
वाह ... बहुत खूब कहा आपने ....
बहुत बहुत आभार ,
Deleteहसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
ReplyDeleteजो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा
..बहुत बढ़िया सकारात्मक सोच भरी गजल ..
बहुत बहुत आभार ,
Deletekhubsurat gajal....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ,
Deleteबहुत बहुत आभार ,
ReplyDeleteरुलाया है तुमने जुदाई में ,एक दिन
ReplyDeleteतुमको अलविदा कह रुलाकर जाऊँगा
बहुत खूब शौर्य जी।।।
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल..... मालिक जी
ReplyDeleteसुन्दर भाव...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteजितना जब मुझको जिसने तडपाया था,अब
ReplyDeleteमैं भी उनको उतना सताकर जाऊँगा''
वाह क्या जज़्बा है आपका। सलाम है
उम्दा ग़ज़ल
(बांकी मुझे तख्ती के बारे में विशेष जानकारी नहीं है। )
बहुत सुंदर गजल,
ReplyDeleteहसते गाते गुनगुनाते एक दिन यूँ ही
ReplyDeleteजो रूठे है उनको मनाकर जाऊँगा
वाह क्या कहने
खुबसूरत गजल
sakaratmak soch seyukt sundar gazal badhayi
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