Monday, September 2, 2013

मेरे कान्हा चले आओ

लफ्जो की है मज़बूरी

तुम नजरो से समझ जाओ

कहती है राधा रानी

मेरे कान्हा चले आओ


माखन की मटकी अब

तड़फती है टूटने को

कहती है ये मटकी भी

मेरे कान्हा चले आओ


बचपन की अटखेलियाँ

वो जंगल वो गऊ मईया

कहती है आज फिर से

मेरे कान्हा चले आओ


वियोग की बेला है ये

अब ना और तडफाओ

मिलन की घड़ियाँ कहती है

मेरे कान्हा चले आओ

मेरे कान्हा चले आओ

डॉ शौर्य मलिक

22 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर मनमोहक प्रस्तुती,धन्यबाद।

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  2. बहुत ही सुन्दर एवम मनोहारी प्रस्तुति ''डॉ शोर्या'' जी

    आज वाकई में हर कोई कान्हा का, राधा रानी सा प्यासा/प्यासी है,
    और गुहार कर रहा/रही है, क़ि मेरे कान्हा चले आओ।
    इस प्रस्थिती से सिर्फ और सिर्फ आप ही उबार सकते हैं।
    बहुत सुन्दर प्रार्थना
    बधाई

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति !!

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  4. बहुत ही सुंदर.

    रामराम.

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  5. बहुत आलोकिक प्रस्तुती ... कान्हा को पाने की चाह तो सभी को रहती है ...

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  6. बेहद सुंदर भाव ....एक प्यारी सी रचना केलिए बधाई ....शोर्य जी...

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  7. सुन्दर रचना ...अछे भाव है .............कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारे ....

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  8. बहुत सुन्दर और मनभावन प्रस्तुति...

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  9. बहुत ही सुन्दर मनमोहक प्रस्तुती

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  10. बहुत शुक्रिया

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  11. लफ़्ज़ों की है मजबूरी ...
    वाह !

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  12. बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना....

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  13. बहुत ही सुन्दर .......

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  14. बहुत अच्छा प्यार भरा पुकार ....मेरे कान्हा चले आओ
    latest post नसीहत

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  15. अब तो आ कान्हा जाओ, इस धरती पर सब त्रस्त हुए
    दुःख सहने को भक्त तुम्हारे आज क्यों अभिशप्त हुए

    नन्द दुलारे कृष्ण कन्हैया ,अब भक्त पुकारे आ जाओ
    प्रभु दुष्टों का संहार करो और प्यार सिखाने आ जाओ
    बहुत उम्दा रचना।
    कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन
    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  16. कृष्णमय रचना ...बहुत खूब

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  17. bahut sunder.................


    plz visit here also....

    anandkriti

    http://anandkriti007.blogspot.com

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  18. आप सभी का बेहद शुक्रिया अदा करता हूँ

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