मुझे पिता नही
एक भगवान मिला है,
जीता जागता
एक वरदान मिला है,
ऊँगली पकड़कर जिसकी,
चलना है सिखा हमने,
जिन्दगी जीने की समझ ,
सीखी है जिनसे हमने ,
आकाश से भी ऊँचा है
कद जिनका,
गहराई है
बातो में उनकी,
अश्क न आने दिए
आँखों में मेरी ,
परवरिश
इतने प्यार से की है,
हर दर्द को समेट कर
अपने आगोश में,
खुशियों से भर दी है
जिन्दगी मेरी,
ऐसे पिता को शत शत नमन करता हूँ ,
ऐसे कई जन्म भी उनकी सेवा को अर्पण करता हूँ,
एक भगवान मिला है,
जीता जागता
एक वरदान मिला है,
ऊँगली पकड़कर जिसकी,
चलना है सिखा हमने,
जिन्दगी जीने की समझ ,
सीखी है जिनसे हमने ,
आकाश से भी ऊँचा है
कद जिनका,
गहराई है
बातो में उनकी,
अश्क न आने दिए
आँखों में मेरी ,
परवरिश
इतने प्यार से की है,
हर दर्द को समेट कर
अपने आगोश में,
खुशियों से भर दी है
जिन्दगी मेरी,
ऐसे पिता को शत शत नमन करता हूँ ,
ऐसे कई जन्म भी उनकी सेवा को अर्पण करता हूँ,
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना है आपकी ...ये पंक्तियाँ दिल छू गयीं .
ReplyDeleteआकाश से भी ऊँचा है
कद जिनका,
गहराई है
बातो में उनकी,
अश्क न आने दिए
आँखों में मेरी
वाह वाह वाह ...लिखते रहिये . वैसे पिता पर "अलोक श्रीवास्तव " जी की एक ग़ज़ल और स्व . ओम व्यास जी की एक कविता भी है जिन्हें जरूर पढ़ें/देखें /सुनें .....
http://www.downvids.net/amma-babuji-by-alok-shrivastav-70989.html
http://www.youtube.com/watch?v=e4Z9P_LzBM8
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार
Deleteपिता से प्रेम को दर्शाती बहुत ही सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।
ReplyDeleteसुबह सुबह मन प्रसन्न हुआ रचना पढ़कर !
आपका बहुत आभार संजय जी ,
Deleteबेहतरीन रचना...!!
ReplyDeleteआपका बहुत आभार रंजना जी
Deleteपिता नहीं भगवान् मिला है
ReplyDeleteऐसा इक वरदान मिला है
सतीश जी बहुत आभार , बस ऐसे ही मेरा मार्गदर्शन करते रहे,
Deleteबेहतरीन रचना.
ReplyDeleteबहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteआभार
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआज में आप के ब्लॉग पर आया मुझे बहुत ही अच्छा लगा , आप ऐसे ही लिखते रहे ,शुभकामनायें
ReplyDeleteआभार
DeletePyari Kavita
ReplyDelete