कसम-ए-तन्हाई
सपने टूटे , रास्ते भी छूटे ,
पनघट पर मटके भी टूटे ,
जो थे पास हमारे, वो भी छूटे ,
धीरे-धीरे दिल के अरमान भी टूटे ,
आँखों से आज आँसू भी छूटे ,
दिलो से दिल के तार भी टूटे ,
हाथो से आज हाथ भी छूटे ,
दिल के सुखद एहसास भी टूटे,
जुबाँ से लफ्जों के तीर भी छूटे ,
तुझसे मिलने के ख्वाब भी टूटे,
तेरी कसम-ए-तन्हाई से, आज हम भी छूटे ,
तेरी बातों से आज हम भी टूटे,
सपने टूटे , रास्ते भी छूटे ,
पनघट पर मटके भी टूटे ,
अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
संजय भास्कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
आभार संजय जी , जरुर मुलाकात करूँगा आपसे आपके ब्लॉग पर
Deleteकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
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