गफलत थी कुछ ऐसी की, अपना नाम ए निशान मिटा बैठे , न जाने कब रेत पर उनकी , धुन्द्ली सी तस्वीर बना बैठे ,,,,,,,,,,,,,,,
बहुत सार्थक हाइकु...
आभार कैलाश जी
बहुत अच्छा हाईकू,इस विधा के लिए बधाई ....
मंगलकामनाएं आपको !
बहुत आभार सतीश जी
बहुत सार्थक हाइकु...
ReplyDeleteआभार कैलाश जी
Deleteबहुत अच्छा हाईकू,
ReplyDeleteइस विधा के लिए बधाई ....
मंगलकामनाएं आपको !
ReplyDeleteबहुत आभार सतीश जी
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