Saturday, July 1, 2017

ताऊ ने बुलाया है
महफिल ये सजाया है
बहाना है ब्लॉग दिवस
बिछडो को मिलाया है

सभी को राम




मुकद्दर से मेरे मै लड़ ना सका था
सच बात ये थी मैं कह ना सका था
हुई गुलजार वो हर एक शाम थी
महफिल में जब मैं जा ना सका था

रुसवाई से डर के तन्हा रहा था
कातिल थी नजरें बच ना सका था
फना कर दिया खुद ही को तभी से
जब तूने मुझ को ठुकरा दिया था

वादा जो मैंने तुझसे किया था
तपती दुपहरी में घर से चला था
गैरों की बाहों में देखा जो तुझको
नजरों से मेरी तू गिर गया था

उलझा रहा समझ ना सका था
कितना दर्द जो मैंने सहा था
कैसे मैं उसको बेवफा बता दूँ
जो कभी मेरा अपना रहा था
शौर्य 

Thursday, August 14, 2014

''जानवरों की पहली पंचायत''

आज सुबह सुबह मेरे पास फोन आया की गाँव में सभी की भैस , गाय , बैल आदि पालतू जानवर लापता है, मुझे बड़ा गुस्सा आया मैं बोला तो फिर मैं किया करूँ , मैंने कोई जानवर पकड़ने का ठेका ले रखा है क्या  , उधर से आवाज आई ,, जनाब पूरी बात तो सुनो, मैंने कहा सुनाओ,वो बोला सभी जानवर रामलीला मैदान में एकत्रित हो रहे है,धीरे धीरे उनकी संख्या बढ़ रही है,अब मेरे दिल में भी उत्सुकता पैदा हो गयी मैंने कहा ठीक है मैं आता हूँ देखते है  कि क्या  माज़रा है,अब मेरे दिल में अलग अलग तरह के सवाल उठने लगे मैंने सोचा आजकल पंचायते बहुत हो रही , शायद जानवर भी अपने शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए लामबन्द हो रहे है ,जो भी हो चल कर देखते है ये सोचते हुए मैं रामलीला मैदान पहुचां , वहां देखा तो चारो और जानवर ही नज़र आ रहे थे , भेड़ , बकरी, भैस,गाय ,बैल, सभी यहाँ पर थे,इनमे से कुछ ने तो स्टेज पर भी कब्ज़ा जमा लिया था ये देख कर मैं मंद मंद मुस्काने लगा,शायद ये इनके छुटभैये  नेता है,जो पहले से ही स्टेज पर अपना कब्ज़ा जमा कर बैठे है,लेकिन कोई अब तक भाषण नही दे रहा था,फिर ध्यान से देखा तो माइक के सामने की जगह खाली थी तब दिमाग में आया की इनका बड़ा नेता अभी तक नही आया है,वो भी शायद हमारे नेताओ की तरह ही देर से आएगा ,तभी चारो एक खलबली सी मची तो मैं तुरन्त डर कर स्टेज के पीछे भाग गया , बड़ी हिम्मत जुटा  कर जब मैंने वहाँ से देखा तो मुझे एक बड़ा बुजुर्ग सांड फुफकारता हुआ (या यूँ कहो कि बुजुर्ग होने के कारण थोडा चलने से ही उसकी साँस फूल रही हो ) स्टेज की तरफ आ रहा था,सभी उसे आगे आने के लिए रास्ता दे रहे थे , तभी मेरे दिमाग में आया कि ये जो कहेगा वो मेरी समझ में तो आएगा नहीं, उसे तो केवल एक आदमी समझ सकता है,वो है अपना लट्ठ वाला ''ताऊ''
तो मैंने फटाफट ताऊ को फोन लगाया और सारी बात समझाई ताऊ ने मुझसे कहा फोन का स्पीकर खोल दो और स्टेज की और बढ़ चलो मैंने कहा ताऊ मरवाने का इरादा है क्या , मैं नहीं जाऊंगा , ताऊ ने कहा तुझे कुछ नहीं होगा जैसा कहता हूँ  वैसा कर , मरता क्या न करता ,जब ओखली  में सिर दे दिया तो अब मूसलो से क्या डर ,फिर मैं हिम्मत जुटा आगे बढ़ा  , ये लग रहा था न जाने किस पल शहीद हो जाऊंगा,, तभी फोन में से किसी जानवर की आवाज आने लगी जिसे सुनकर सारे जानवर मुझे रास्ता देने लगे,मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा ,और मन ही मन सोचने लगा ये ताऊ तो सो मर्जो की दवा है , फिर स्टेज पर पहुँच कर ताऊ को बता दिया की मैं स्टेज पर पहुँच गया हूँ, ,तो ताऊ ने कहा कि फोन को माइक के पास रख दो, मैंने फोन रख दिया और वही पास में ही खड़ा हो गया , फिर  फोन में से एक बार फिर जानवर की आवाज आई , तो इधर उस बुजुर्ग सांड  ने भी ऐसे ही आवाज निकाली ,मैं समझ गया एक दूसरे  को राम राम बोल रहे है,फिर क्या था बुजुर्ग सांड का भाषण शुरू हो गया , कभी फुफकारता तो कभी जोर से भाय भाय करता जब भाषण खत्म होने को आया तो एक बार फिर बुजुर्ग सांड ने जोर से भाय की आवाज निकाली  और फिर बाकी सारे जानवरों ने भी ऐसा ही किया, कुछ देर तक वो सब ऐसा ही करते रहे , मैं समझ गया की ये सब नारे लगा रहे है,और अंत में बुजुर्ग सांड ने फोन की और मुँह किया और जोर से फुफकारा तो हमारे ताऊ ने भी उसको उसी की आवाज में जवाब दिया , अब बुजुर्ग सांड वहा से चल दिया, ये शायद उसने ताऊ को अलविदा कहा है ,, मैंने तुरंत बहुत उत्सुकता में फोन उठा कर ताऊ से पूछा , ताऊ यहाँ हो क्या रहा था, ताऊ ने कहाँ आज ये सब बहुत खुश है,मैंने पूछा क्यों आज ऐसा किया मिल गया इन्हें ताऊ ने कहा इनके दोषियों को सजा जो मिल गयी है, मैं बोला  ताऊ साफ साफ बताओ ,ताऊ ने कहा अरे चारा घोटाले के दोषियों को, मैं बहुत जोर से हँसा मगर ये कह क्या रहे थे ये तो बताओ , ताऊ बोला ये कह रहे थे की इस फैसले के बाद अब कोई भी इनका चारा चुराने की हिम्मत नही करेगा , और CBI का भी शुक्रिया अदा किया , मैंने कहा चलो अच्छी बात है, जानवर भी अपने हक के लिए जागरूक हो गए है , मगर ये बताओ आखिर में ये सब फुफकार क्यों रहे थे, ताऊ हसे और फिर बोले ये कह रहे थे कि अब अगर किसी ने CBI को तोता कहा तो ये सब मिलकर उनकी ईंट से ईंट बजा देंगे,और सभी जानवर हड़ताल पर चले जायेंगे ,,,,,,,,


ताऊ ने  बुलाया और हम चले आयेे ,सादर

डॉ शौर्य मलिक 

Wednesday, January 8, 2014

बस उसे थोडा सा प्यार जरुरी है ...............................

दिल का सुखद एहसास
सबकी आँखों का नूर
हर घर की शान है
जरूरते बहुत थोड़ी है
बस उसे थोडा सा प्यार जरुरी है

बिन बोले वो पढ़ लेती है मुझको
उसके बिन जिंदगी अधूरी है
कभी कोई गिला शिकवा नही
जितना मिल जाये वही काफी है
बस उसे थोडा सा प्यार जरुरी है

उगता हुआ सूरज या चाँद की चाँदनी
उसकी चमक के आगे बेमानी है
हर माँ बाप के दिल का ख्वाब होती है
क्योंकि बेटियाँ कुछ खास होती है
बस उसे थोडा सा प्यार जरुरी है

डॉ शौर्य मलिक 

Sunday, October 27, 2013

मुहब्बत रहती कहाँ

कोई बता दे पता
मुहब्बत रहती कहाँ
ढूंढ़ रहा हूँ मैं
वर्षो से उसका पता

दिल की बेकरारी है
राते जग कर गुजारी हैं
तिस्नगी को भी बढाया
तब भी ना पता लग पाया

सूरज, तारो, चाँद, तारो से पूछा
घूमते हो तुम पूरे जहाँ में
कभी कही किसी मोड़ पर
मिला तुम्हे मुहब्बत का पता

पर्वत,मोसम,पेड और पन्छी
धुप ,छाव,सर्दी और गर्मी
सबसे मैंने बस यही पूछा
बताओ मुहब्बत रहती कहाँ

धीमे धीमे होले होले
सब मंद मंद मुस्काते है
लगता है मालूम है इनको
किन्तु मुझको नहीं बताते है

सरिता , सागर  और तालाब
सबके गया किनारों पर
वही पवन  ने फुसफुसाकर
मुझको बस इतना कहाँ

मुहब्बत मिलती नहीं
बस हो जाती है
दिल को एक पल में
दीवाना कर जाती है

तब मेरे दिल ने हँस कर कहा
जिसका तू ढूंढ़ रहा था पता
वो रहती हरदम मुझमे
कभी अंदर आने की जेहमत उठा

डॉ शौर्य मलिक 

Friday, October 18, 2013

रल्धू 3

आज सुबह सुबह रल्धू मेरे घर आ गया और बोलया भाई तू मेरे ऊपर फिर से कुछ लिखणे वाला है , मैंने कहा हा भाई लिख रहा हूँ , तो वो बोला हमेशा मेरा मजाक उड़ाते हो , कभी तो कुछ अर्थपूर्ण बात लिख दिया करो , मैंने कहा ठीक है भाई इस बार हास्य कम और व्यंग्य ज्यादा है , जो आजकल हमारी सोच हो गयी है उसके बारे में लिखने की कोशिश कर रहा हूँ , वैसे भी अगर  नहीं लिखा तो रल्धू कॉपीराइट का मुकदमा कर देगा मुझ पर ,  इस बार मैंने रल्धू को मुक्तक में लिखने का प्रयास किया है , आप सभी की प्रतिकिर्या की उम्मीद करता हूँ ...................

रल्धू की यारो देखो कैसी शामत आई
मेम तै करा जो ब्याह,घर में आफत आई
गिटपिट गिटपिट काटे ढेर कसूती अंग्रेजी
अरे यार  मेरे पल्ले या के जहमत आई

तडके तै साँझ ढले तक काम करे बिचारा
घर,बासन,कपडे,साफ़ करण मे मरे बिचारा
कधी पकावै आमलेट तो कधी कुक्कड़ कूँ
पैडी वाला मैनी वाला क्योर भी करे बिचारा

दूध दही की तो इस घर में थी बहती नदियाँ
अब तो उडे धुम्मा अर दारू की बहती नदियाँ
वो बोलया ब्याह कै ना लाइयो कधी मेम
देश की छोरी तै ही प्यार की बहती नदियाँ

डॉ शौर्य मालिक 

Friday, October 11, 2013

पर हम तो यारो केले है

काफी दिनों के बाद ब्लॉग पर आया हूँ , आप सभी से दूर रहने के लिए माफ़ी चाहता हूँ, कोशिश करूँगा कि अब लगातार आप लोगो के सम्पर्क में रहूँ , एक छोटी सी गजल कहने की कोशिश की है, जो गलतियाँ हो कृप्या मुझे बताये ,आप सभी के कमेंट्स का इंतजार रहेगा

दर्द सभी ने कुछ झेले है
जिन्दा वो, जो अलबेले है

बिकता है अंगूर यहाँ तो
पर हम तो यारो केले है

अनपढ़ बनते राजा देखो
खेल अजब किस्मत खेले है

प्यार,भरोसा ,रिश्तो के अब
लगते रोज़ यहाँ मेले है

चाहो जैसे तोड़ो वैसे
हम तो मिटटी के ढेले है

डॉ शौर्य मलिक 

Sunday, September 22, 2013

बहुत दिनों से इस गजल को तलाश रहा था , आज ये मिल गयी,बहुत प्यारी गजल है, आप एक बार इस पर नजर डाले,,, अदम गोंडवी जी की एक बेहतरीन गजल है ये 





हिन्‍दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िए
अपनी कुरसी के लिए जज्‍बात को मत छेड़िए


हममें कोई हूणकोई शककोई मंगोल है
दफ़्न है जो बातअब उस बात को मत छेड़िए


ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीजुम्‍मन का घर फिर क्‍यों जले
ऐसे नाज़ुक वक़्त में हालात को मत छेड़िए


हैं कहाँ हिटलरहलाकूजार या चंगेज़ ख़ाँ
मिट गये सबक़ौम की औक़ात को मत छेड़िए


छेड़िए इक जंगमिल-जुल कर गरीबी के खिलाफ़
दोस्त मेरे मजहबी नग़मात को मत छेड़िए